नवीं दसवीं में सि एस आर, चंदामामा, पराग पढ़ते पढ़ते कब मायापुरी, सिने व्लिटज, स्टार डस्ट , डेबोनेयर, के माया जाल में फंसी पर फंसते हुए मज़ा बखूब आया !!
' दुल्हन वही जो पिया मन भाए ' यूं तो प्रसाद टाकीज़, बरेली में मेरी ज़िन्दगी की पहली फिल्म थी और जिसके देखने के बाद मम्मा ने चावला रेस्टोरेंट के दो गरम गुलाब जामुन खिलवाये थे। ओह, देखते ही ललचा गई और खाते ही जीभ जल गया पर आह आह करती रही और फिर गुड़ूप से खा लिया। मां ने वह दिन आउटिंग करवाकर खास बना दिया था।
खैर, गुलाब जामुन पर पोस्ट नहीं है यह, यह सिनेमा से प्रेम के शुरुआती दिनों की कहानी है।
क ई सालों से चल रही इस लुकाछिपी प्रेम को बाहर आना ही था, कस्तूरी मंच ने फिल्मों पर सार्थक चर्चा परिचर्चा शुरू किया और मेरे अंदर कुलबुलाहट ने।
मेरी प्यारी निर्देश निधि Nirdesh Nidhi दी ने रश्मि, विशाल से मेरा नंबर शेयर किया और मुझे जो खुशी हुई/मिली, यानि अथाह ...
कस्तूरी मंच ने पहले रेखा जी ओम पुरी जी की फिल्म 'आस्था' के लिए मंच प्रदान किया, जिसमें मेरी अनु सुंदरी Anu Chakraborty और जितेंद्र श्रीवास्तव जी शामिल हुए और फिर रेखा जी की ही एक और सजी धजी खूबसूरत फिल्म 'उत्सव' के लिए मंच मिला।
उत्सव के लिए तैयारी मैंने इतने मनोयोग से किया कि सीन दर सीन याद हो ग ए, जबकि मेरे पर्सनल फ्रंट पर बहुत कुछ तेजी से चल रहा था। रश्मि मुझे फ़ोन करतीं, मैं या तो फोन नहीं उठा पाती या मैं बनारस या गुड़गांव के हास्पिटल से वाट्स ऐप कर टेक्स्ट करती, कि आगरा लौटकर बात करती हूं।
बहरहाल, मुझे बहुत मज़ा आया उत्सव पर बात करते हुए क्यों कि मुझे समय मिल गया था और मैंने शिद्दत से महसूस किया उत्सव की उत्सवधर्मिता को।
फिर वह किताब के रुप में अलंकृत हुई, " कितनी गिरहें खोली हैं मैंने "...
संपादकीय रश्मि सिंह रश्मि सिंह व विशाल पाण्डेय विशाल पाण्डेय का। भूमिका हम सबकी प्रिय चंद्र कला त्रिपाठी जी Chandrakala Tripathi ने सुप्रीमली लिखी है।
कलमकार पब्लिशर्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक में अठारह(मुझे मिलाकर उन्नीस) महत्वपूर्ण और सशक्त हस्ताक्षरों की भागीदारी है, जिन्होंने जिस तरह उन तमाम फिल्मों ( जिस पर उन्हें लिखना गुनना था) को देखा, परखा, पलटा जो न केवल काबिलेतारिफ है वरन् एक अलग पहचान की परिभाषा भी है जो आपको एक नए दृष्टि से अवगत करवाती है। सिनेमा पर रुचि रखनेवाले तमाम पाठक एक नये परिपेक्ष को जरूर पायेंगे , इसमें कोई संदेह नहीं।
पूरी कस्तूरी टीम का तहे दिल से शुक्रिया अदा करती हूं, इस्तेकबाल करती हूं और भविष्य में सबसे और अधिक जुड़ना चाहती हूं।
कामना करती हूं आप सब अच्छे व स्वस्थ रहें
इति
निवेदिता दिनकर
१९/१०/२०२२
तस्वीर: पुस्तक "कितनी गिरहें खोली है मैंने" के साथ मेरी डायरी की जिसमें 'उत्सव' फिल्म पर नोट्स लिखीं हैं।
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (22-10-2022) को "आ रही दीपावली" (चर्चा अंक-4588) पर भी होगी।
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कृपया कुछ लिंकों का अवलोकन करें और सकारात्मक टिप्पणी भी दें।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
वाह वाह वाह, अच्छी अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंवाह बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति
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जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 26 अक्टूबर 2022 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
अथ स्वागतम शुभ स्वागतम।
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पुन: भेंट होगी..
जानकारी देने के लिए शुक्रिया
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