सुनहरा एहसास .....पल पल की ....धडकनों से गुजरती हुई स्याही तक का सफ़र ....
तुम्हारी हर मुद्रा को ठहर कर देखती हूँ ...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें