कहाँ हर बार फसल पक पाती है ??!!
कहाँ मुरादे ??!!
और
हर बार क्या पंक्तियाँ पूरी हो पाती हैं ?
चाय के ...
भाप पर तुम्हारी आकृति बनाने की मिथक कोशिश ...
चींटियों की तारीफ में कसीदे पढ़ते पढ़ते ...
जान लेना,
कि ...
चिड़ियों के परों पर बैठकर अंतरिक्ष की सैर करने निकल पड़ने को
ब्लैक होल के रहस्य के बराबर मान लिया है |
- निवेदिता दिनकर
तस्वीर : मेरे द्वारा क्लिक
बहुत सुन्दर।
जवाब देंहटाएंचाय के ...
जवाब देंहटाएंभाप पर तुम्हारी आकृति बनाने की मिथक कोशिश ...
आपकी लिखी चंद पंक्तियों में जीवन कि वो पक्ष उभर आया है जिसे जानकर भी अंजाने रहते है, पर इससे जुड़े अवश्य रहते हैं।
कहाँ हर बार फसल पक पाती है ??!!
कहाँ मुरादे ??!!
और
हर बार क्या पंक्तियाँ पूरी हो पाती हैं ?
लिखा हमेशा ही अधलिखा सा होता है। खत्म तो हम विवश होकर करते हैं।
ऐसा न हो तो, एक ही विषय पर ग्रन्थ तैयार नहीं होते।
बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीया। ।।।
आप लिखते रहें, हम पढते रहेंगे .....
जी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (११-०७-२०२१) को
"कुछ छंद ...चंद कविताएँ..."(चर्चा अंक- ४१२२) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
बहुत गहन भाव छोटे में बड़े भाव ।
जवाब देंहटाएंवाह !
जवाब देंहटाएंबहुत खूब निवेदिता जी | हार्दिक शुभकामनाएं|
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