बुधवार, 25 मार्च 2020

''कविता '' ... निकल गयी ...



नमस्ते !
नमस्ते !!
कहते हुए एक मीटर फासले से ...
निकल गयी ... कविता
''कविता '' ...
निकल गयी ...
और सीधे जाकर गुलाब पर मंडराने लगी ... वहाँ उसे कोई डर नहीं था |
तितली बन गयी थी कविता ...
गुलाब को लाल सुर्ख रंग में तब्दील होने में कलियों को जैसे कोई वक़्त ही नहीं लगा ...
मैंने गुलाब को मेरे ऊपर ठिठोली करते हुए देखा ...
गुलाब की ठसक
भी यों नहीं है ...
बगैर रोक टोक के वह खिला रह सकता है ...
कई कई रोज़
बहुत खुश है वह अपनी आज़ादी से ...
अंगूर के बेल पर जब चढ़ने लगी
कविता ...
मानों, यौवन की दहलीज़ पर पाँव पड़ गए हो ...
छोटे छोटे अनगिनत गुच्छोंसे सज गयी थी बेल ...
टिटहरी और गिलहरी
की जब्बर जुगलबंदी,
में
उनके आनंदमय आवाज़ एक थी ...
आराम से सड़क पार करते
कुछ भूरे सफ़ेद श्वानों का झुंड हँसते बतियाते ... बौरा गये है ...
आसमां को छूने की चाहत में
ऐसा खेल रच गया कि छुअन से ही दूरियाँ हो गयीं ...
नाकाबंदी
फाटक बंदी
शहर बंदी
से हम कब ?
क अ ब ?
बंदी बना दिये गये ... नहीं पता चला ...
खुशियों से तरबतर , नृत्य करते, भौचक्के,
पशु प्राण ... पाखी ...प्रकृति ...
कि उनकी दुनिया
अचानक
हिफाजत में कैसे है ?
पर क्या उनका हिंदुस्तान ...
अब हुआ है ...
आज़ाद ?
- निवेदिता दिनकर
२३/०३/२०२०
#कोरोनाकॉम्बैट #जागोकम्युनिटी

6 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर सृजन।
    माँ जगदम्बा की कृपा आप पर बनी रहे।।
    --
    घर मे ही रहिए, स्वस्थ रहें।
    कोरोना से बचें

    जवाब देंहटाएं
  2. आदरणीया/आदरणीय आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर( 'लोकतंत्र संवाद' मंच साहित्यिक पुस्तक-पुरस्कार योजना भाग-२ हेतु नामित की गयी है। )

    'बुधवार' ०१ अप्रैल २०२० को साप्ताहिक 'बुधवारीय' अंक में लिंक की गई है। आमंत्रण में आपको 'लोकतंत्र' संवाद मंच की ओर से शुभकामनाएं और टिप्पणी दोनों समाहित हैं। अतः आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य"

    https://loktantrasanvad.blogspot.com/2020/04/blog-post.html

    https://loktantrasanvad.blogspot.in/



    टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'बुधवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।


    आवश्यक सूचना : रचनाएं लिंक करने का उद्देश्य रचनाकार की मौलिकता का हनन करना कदापि नहीं हैं बल्कि उसके ब्लॉग तक साहित्य प्रेमियों को निर्बाध पहुँचाना है ताकि उक्त लेखक और उसकी रचनाधर्मिता से पाठक स्वयं परिचित हो सके, यही हमारा प्रयास है। यह कोई व्यवसायिक कार्य नहीं है बल्कि साहित्य के प्रति हमारा समर्पण है। सादर 'एकलव्य'

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह!!!
    एकदम सटीक सुन्दर सार्थक
    बस मनुष्य ही बन्दी बना है बाकी तो सभी और भी आजाद मस्त जी रहे है।

    जवाब देंहटाएं
  4. आदरणीया/आदरणीय आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर( 'लोकतंत्र संवाद' मंच साहित्यिक पुस्तक-पुरस्कार योजना भाग-२  हेतु इस माह की चुनी गईं नौ श्रेष्ठ रचनाओं के अंतर्गत नामित की गयी है। )

    'बुधवार' २२  अप्रैल  २०२० को साप्ताहिक 'बुधवारीय' अंक में लिंक की गई है। आमंत्रण में आपको 'लोकतंत्र' संवाद मंच की ओर से शुभकामनाएं और टिप्पणी दोनों समाहित हैं। अतः आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य"
    https://loktantrasanvad.blogspot.com/2020/04/blog-post_22.html  
    https://loktantrasanvad.blogspot.com/2020/03/blog-post_25.htmlhttps://loktantrasanvad.blogspot.in/


    टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'बुधवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।


    आवश्यक सूचना : रचनाएं लिंक करने का उद्देश्य रचनाकार की मौलिकता का हनन करना कदापि नहीं हैं बल्कि उसके ब्लॉग तक साहित्य प्रेमियों को निर्बाध पहुँचाना है ताकि उक्त लेखक और उसकी रचनाधर्मिता से पाठक स्वयं परिचित हो सके, यही हमारा प्रयास है। यह कोई व्यवसायिक कार्य नहीं है बल्कि साहित्य के प्रति हमारा समर्पण है। सादर 'एकलव्य'  

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    उत्तर
    1. इन दिनों  ... लिखना बहुत ज़रूरी  ... ह्रदय तल से शुक्रिया, बंधुवर  ... 

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