हुस्ने इत्तिफ़ाक़ से,
ज़िद्दे पूरी होती गई और शहरी होते गए ...
पाश पाश होते रहे और पाक़बाज़ी खोते गए ...
- निवेदिता दिनकर
१४/०९/२०१६
हुस्ने इत्तिफ़ाक़ - सौभाग्य से, सुयोग, luckily
पाश पाश - टूट कर चूर चूर हो जाना , broken in pieces
पाक़बाज़ी - शुद्धता , सच्चरित्रता, purity
हुस्ने इत्तिफ़ाक़ - सौभाग्य से, सुयोग, luckily
पाश पाश - टूट कर चूर चूर हो जाना , broken in pieces
पाक़बाज़ी - शुद्धता , सच्चरित्रता, purity
तस्वीर: मेरी नज़र से 'पत्ती पर रुकी एक बूँद', लोकेशन : मेरा घर, आगरा
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