मंगलवार, 26 जुलाई 2016

आहें



गुजरता हुआ देखूं जब तुझको,
आहें  ही भर पाऊँ ...
मुडके देख ले एक नज़र,
मैं ऐसे ही तर जाऊँ ...
मगर जाने क्यों लागे यह डर, 
टीस न रह जाये किसी पल ...

तु मुझे थाम ले वहीं !
कि देखता रह जाये हर बटोही !!

- निवेदिता दिनकर 

२६/०७/२०१६ 

फ़ोटो :  'इवनिंग वॉक'   मेरी नज़र  


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें