गुरुवार, 5 मई 2016

खुशबू

यूँ महकी संदली खुश्बू तो फ़िज़ा में पहले कभी न थी,
लगता है 
यादों का दराज़ आज खुला रह गया होगा … 

- निवेदिता दिनकर 
  05/05/2016
फोटो क्रेडिट्स : Urvashi Dinkar

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