"मोहब्बत करते है!!"
नहीं मालूम ...
"मैंने मोहब्बत किया" ...
"मैंने मोहब्बत किया" ...
नहीं मालूम ...
सिवाय
सिवाय
तुम्हारा हसीन साथ
या सारंग का गात
जैसे पुष्कर सा सुकून
या गरल धारण शम्भू
या गरल धारण शम्भू
जैसे मनमौजी बाताश
जैसे अकूत दौलत
या मन महोत्सव
या मन महोत्सव
जैसे लहरों पर अठखेलियाँ
या महकती मंडलियां
या महकती मंडलियां
जैसे ग़ज़ल सी चंचल ख्वाइश
या छौना सी आजमाइश
या छौना सी आजमाइश
जैसे अलंकृत दिनकर
या कनक सा कलेवर
या कनक सा कलेवर
और
साझे
अनगिनत लम्हें ...
साझे
अनगिनत लम्हें ...
- निवेदिता दिनकर
21/01/2016
तस्वीर : उर्वशी की आँखों से, "मोहब्बत", लोकेशन धर्मशाला, हिमाचल प्रदेश
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (25-01-2016) को "मैं क्यों कवि बन बैठा" (चर्चा अंक-2232) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बेहतरीन .....
जवाब देंहटाएंपंक्तियाँ पसंद करने के लिए ह्रदय से धन्यवाद जी :)
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना । आपके ब्लॉग को "ब्लॉगदीप" में शामिल किया है ।
जवाब देंहटाएंhttp://pksahni.blogspot.com