शुक्रवार, 9 अक्तूबर 2015

एक सवाल


रह रह कर एक घटना याद आती है और फिर कुछ अनसुलझे सवाल।  
आज मैं उस 'वाक़या ' को लिखना चाहती हूँ। 
  
 मई २००८ की बात है । फिरोज़ाबाद से एक शादी का निमंत्रण कार्ड आया था। जाना जरूरी था । 
इसलिए मैं, दिनकर और हमारा  ड्राइवर शाम होते ही आगरा से फिरोज़ाबाद के लिए निकल पड़े। आगरा फ़िरोज़ाबाद की दूरी लगभग ४० कि मी है। और फिर उन दिनों सड़क पर काम चल रहा था इसलिए सड़क बेहद ख़राब व् उबड़ खाबड़।
रात का समय, खैर टाइम से शादी में पहुँच गए थे और घंटा भर रूककर दावत खाकर वापिस आगरा के लिए रवाना हो गए। 

लौटते वक़्त ड्राइवर ने आगरा जल्दी पहुँचने के चक्कर में स्पीड भी बढ़ा दी थी। एकदम से खुरदरी मिटटी से टायर का रगड़ खाने की आवाज़ और कुछ चार पांच मीटर कार का हवा में तैरते हुए सड़क को ज़ोर से पटकते हुए छूना, बस ऐसा लगा कि अब सब ख़त्म  … 

साँसे अटक गई थी और हमने साक्षात मौत को जीता था।    

इस वाक़या के हफ्ते भर बाद यानि १३ मई २००८  की रात्रि हमारे उसी 'ड्राइवर' की आकस्मात मृत्यु का समाचार मिलता है। १४ मई २००८ दोपहर लगभग १२ बजे 'दिनकर' फ़िरोज़ाबाद रोड पर गंभीर रूप से दुर्घटना ग्रस्त हो जाते है। 
थोड़ा सोचने पर मज़बूर हो जाती हूँ क्योंकि ठीक एक हफ़्ता  पहले हम तीन लोग यानि मैं, दिनकर और ड्राइवर साथ थे और एक्सीडेंट टल गया था । 
यानि उस रात किस्मत ने मुझे ही नहीं हम तीनों को बचा लिया था या यूँ कहे, उस वक़्त किसी एक की वज़ह से जान बची था और चूँकि मुझे इन आघातों से बचना लिखा था और आगे जाकर दिनकर को जतन करना था इसलिए कुछ अच्छी शक्तियों की वजह से पहला वाला हादसा टल गया था  …

क्या ऐसा ही था? 

- निवेदिता दिनकर 
  09/10/2015
  
फोटो क्रेडिट्स : उर्वशी दिनकर, लोकेशन - मैसूर के  श्रीरंगपट्ट्ना में 'हम' 

2 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (11-10-2015) को "पतंजलि तो खुश हो रहे होंगे" (चर्चा अंक-2126) पर भी होगी।
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. सुन्दर व सार्थक रचना प्रस्तुतिकरण के लिए आभार..
    मेरे ब्लॉग की नई पोस्ट पर आपका इंतजार....

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