सोमवार, 19 अक्तूबर 2015

फिर बाँटे



सुनों, 
कुछ शामें मौसिकी के 
कुछ लम्हें आशिक़ी के
कुछ मिठास सर्द के 
और 
कुछ टुकड़े दर्द  के  

एक बार फिर बाँटे ?

- निवेदिता दिनकर 
  20/10/2015   

आज की शाम: गुलाबी सर्द में नहायी मैं और देहरादून 

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