गुरुवार, 11 सितंबर 2014

तमिलनाडु



दक्षिणी भाग, दक्षिण भारत। अपूर्व, अस्वाभाविक सुन्दर। बहुत सुखद एवं तलों तक समां जाने वाली। यों तो कई बार आई हूँ परन्तु इस बार कुछ नया नया लगा, 'क्या', ये तो पता नहीं  … लोग, ज़मीन, रहन सहन, दुकानें, हलचल, खानपान या आबोहवा। 
कई बार भाषा आड़े आई, मगर थोड़ी देर के लिए। शहर का निर्माण हो या खेतों में फसल, चेन्नई का आकर्षण या महाबलीपुरम का समुद्री तट या मदुरई का मीनाक्षी अम्मां मंदिर, खुशहाली और विस्तार देखा जा सकता है। 
बारिश का लुत्फ, दक्षिणी शैली में केले के पत्ते पर भोजन, सुगंधित फूलों के गजरें, स्थानीय लोगों से बातचीत का आनंद बखूब लिया गया।
भीतर तक ऊर्जा का उभार और महकती यादों के आगोश में क़ैद से आज़ाद नहीं होना चाहते … और जिंदगी भर सम्हाल के रखना चाहेंगे …  क्यों मित्रों!!

- निवेदिता दिनकर 



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