मंगलवार, 5 मार्च 2013

जुनूनी जुनून


जब जब बाते उठी ,
बड़ी बड़ी बाते ही हुई।  
जो गुमनामी से होकर 
छुपती छुपाती खो जाती कहीं। 
रह जाती केवल वह सिसकियाँ ,
जो हिला दे रूह को,
कंपा दे मन को,
बनकर कभी न जाने वाली परछाईयाँ ।।  

कठिनाइयाँ  बहुत, मुश्किलें जबरदस्त 
इस निर्दयता से पार पाना 
मगर जज़्बा बेशुमार, इरादे अडिग 
इस सैलाब में बह जाना। 
कि बस ! अब हो चुका बहुत कुछ ,
न रुकेगा यह जुनून,
न थमेगी यह साँसे,
बस बहेगी यह प्रवाह ताउम्र ताउम्र ।। 

- निवेदिता दिनकर 

8 टिप्‍पणियां:

  1. बातों से जख्म नहीं सिले जाते .....पर बातें तो सिर्फ बोलना जानती हैं .....जमाना बस बातों से बहलाने की कोशिश करता है ...दर्द बांटना नहीं देना जानता है .....अपना हौसला खुद ही बनाना होगा ...बहुत सकरात्मक

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  2. शिखा , तुम निराली , तुम्हारी हर अदा निराली।
    ऐसे ही फैलाती रहो खुशबुओं की खुशहाली ॥
    प्यार सहित .....

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  3. बातें ..... इस पर मैने एक समग्रता अभियान सा लिखा है .. जो जल्द आप सभी से साझा करुँगा .. पर उस बडी रचना का प्रभाव आपकी रचना के समकक्ष नही, क्यूँकि , इसमें जो प्रवाह है .. बहुत ही सार्थक है , कम शब्दों में ही सार्थकता पुरी करती अपकी रचना ...
    भाव और काव्यशीलता में निरंतरता लिये, पंक्ती दर पंक्ती बढ रही ..
    बहुत ही अच्छा और सार्थक लेखन निवी जी !
    सादर नमन ! आपकी छन्द शैली, और भावों के संयोजन को
    अनुराग त्रिवेदी एहसास

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    1. अनुराग , सर्वप्रथम स्वागतम मेरे ब्लॉग पर। इतने विस्तारपूर्वक जो बाते बताई है उसके लिए मेरे पास शब्द नहीं है बस इंतना कहूँगी कि आप अपने अंदाज़ से मेरा मार्ग दर्शन करते रहे ,यही मेरी अपेक्षा है । धन्यवाद |

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  4. बहुत सुंदर नेवेदिता ...बहुत पॉजिटिव रचना ..

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    1. रौनक , बहुत शुक्रिया यार । तुम पधारी और मेरे ब्लॉग पर रौनक छा गई .....भई , क्या बात !!

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    2. निवेदिता. इस रचना में उचित आक्रोश है और बहुत ही संयत प्रस्तुति है - यह दो भाव का मिश्रण प्राप्ति है.

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    3. राजु .....आभार ,शुक्रिया ! आपने मेरा सम्मान बढ़ा दिया !!

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