सुबह से
चलते चलते ...
अन्दर बाहर
सहेजते संवारते …
जूठे बरतन से लेकर
कपड़े वाशिंग मशीन में डालने तक …
बेड टी, नाश्ता …
ऑफिस ,
पावर पॉइन्ट प्रेजेंटेशन
फाइल्स, प्रोजेक्ट्स …
इस बीच
बेटे के लिए डॉक्टर से अपॉइंटमेंट भी …
फिर शाम के लिए डिनर की तैयारी
उनकी पसंद का हिसाब भी …
अरे हाँ, आज तो माँ को फ़ोन भी करना है
इस आती जाती ठंड से
उनके घुटनोँ में दर्द बढ़ गया है …
कब वीक एंड आएगा ?
खैर,
तब तक
एक प्रिय गीत एफ एम पर आने लगा
बाँहो के दरमियान
दो प्यार मिल रहे है …
- निवेदिता दिनकर
०८/०४/२०१५
तस्वीर - साभार गूगल
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