बुधवार, 10 जुलाई 2019

सबसे चतुर स्त्री



सबसे चतुर स्त्री
ह है
जो
घनघोर बारिश में
भीगकर
अपनी सरसों पीली गोटेदार सिंथेटिक साड़ी को
घुटने तक उठाकर ,
पूरी तारतम्यता से
अपने
दूध मुहे बच्चे को कसकर सिमटाय रखती है ...
दूसरा हाथ मटमैला झोला लिए ...
दौड़कर
पानी भरा सड़क पार करती है ...
पल्लू सरक चुका होता है ...
अध पेट खाया धंसा पेट शान से झलकता है
लाल गाढ़ी लाली दाँतों तक चिपकी हुई ... लगभग
बस तब ...
तब
यह चमकीली नाज़नीन बूँदे
कुबड़ी
कुरूप
मंथरा
लगतीं हैं ...

- निवेदिता दिनकर 

1 टिप्पणी:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (12-07-2019) को "भँवरों को मकरन्द" (चर्चा अंक- 3394) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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