बुधवार, 26 सितंबर 2018

तुम औरतों से ...




अजीब एक 'गंध' आती है, 
एक दम अलग,

तुम औरतों से ... 

हरे धनिये की ...
या
कच्ची तुरई के पीले फूल की
या
रोप रही मिटटी की ...

तुम्हारी चटक सूती धोती भी न ...
'सिलक' की साड़ी से बढ़िया लगती है |

ऐसे 'खी खी' हँसती ,
जब
कोई तुम्हारी तारीफ़ करें ,
कि बस
पुरवैया इठला जाये ...

सिर ऐसे ढाँकती
जईसे सब मर्द तुम्हारे श्वसुर, जेठ लगें ...

फोटु खिंचवाते टाइम भी
हंसते-हंसते पल्लु से मुंह ढक लेती हो ...

पता है ,
तुम तो

चुपके से उतरती कोई बूँद हो
किसी के पुराने इंतज़ार की ... 


- निवेदिता दिनकर



तस्वीर : मेहनतकश  किसान औरतों से एक रूबरू , लोकेशन : दारुक , वृन्दावन  

गुरुवार, 13 सितंबर 2018

लघु प्रेम कविता ५




प्रेमिका
से
पत्नी,
पत्नी
से
माँ ...
बनी थी जब ...
और
तुम ...
वह करुण चेहरा
अबोध बालक पन
निरुपाय
असमय ...
हे स्थिति,
तुम मुझे ' शून्य ' कर गयीं
एक पूर्ण विराम ...
"समाधिस्थ" 
- निवेदिता दिनकर
१०/०९/२०१८
#लघुप्रेमकविता५


झुमकी की एक मोहक पेंटिंग 

बुधवार, 12 सितंबर 2018

लघु प्रेम कविता ४







मुझे अकेले छोड़ कर
तुम्हारा
मात्र 
बाहर जाना
भी ...
जाने क्यों खलता है अब ...

" दे हैव बीन टुगेदर फिफ्टी ऐट इयर्स नाउ "
- निवेदिता दिनकर
  10/09/2018

सोमवार, 10 सितंबर 2018

लघु प्रेम कविता ३


मेरी पीठ से तुम्हारी पीठ
का 
यह
पुल ...

एक 'पीठ' है |

- निवेदिता दिनकर
  09/09/2018
#लघुप्रेमकविता३

रविवार, 9 सितंबर 2018

#लघुप्रेमकविता२



यह जो
तुम
मुझे 
छंद बंद
में
बाँधते
हो ...
या
रस, अलंकार
में
डूबोते
हो ...
क्या ऐसे 'अवरोध' प्रेम है ?
- निवेदिता दिनकर
  09/09/2018

शनिवार, 8 सितंबर 2018

लघु प्रेम कविता १



कभी प्यार ने सफोकेट किया है?
मेरा उत्तर 'हाँ' में था ...
बिलकुल
उस गैस चैम्बर में जा रहे कैदी की तरह ...
मगर
प्यार तो,
बंधनमुक्त होता है |
पर
उसका प्यार
'होलोकॉस्ट' था ...
- निवेदिता दिनकर
  08/09/2018