शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2021

सफर


 


सड़क के दोनों तरफ हरियाली होती है तो सफर खुद ब खुद ख़ुदा हो जाता है |

सड़क के एक तरफ पेड़ पौधे लताएं पत्ते दिख जाने पर भी, आबोहवा सुकूनदायक, खूबसूरत और आनंदमय हो जाता है कुछ परिमाण ...
पर
यही सफर वीराने और सूखे से होकर गुजरता है जब, तब गुजरे दिनों की ठंडक , ख़ूबसूरती और ख़ुदा को बक्से से बाहर बुलाकर खुद को चमत्कार दिखाना होता है |

चमत्कार !! ??

दिखता बंद आँखों से जो ,
चिड़ियों के कलरव सा स्पर्श ...
ओस से भीगी टेबिल, कुर्सियां जो रात भर गपशप में बाहर रहकर चांदनी की सिसकियों में डुबकी लगाती रही हो ...
अखबार के पन्नों पर नहीं आ पाने वाली बेखौफ़ खबरों की आज़ाद हँसी ...
कोयले के देह को छूती लहराती लिपटने को आतुर नारंगी लौ ...

मेरी मुक्ति ने अभी नवयौवना का रूप लिया भर ....

- निवेदिता दिनकर
२६/०२/२०२१

सोमवार, 15 फ़रवरी 2021

पुरानी धुरानी कविता !!!

 







चाँद भी दोपहर का बहाना कर छुप गया ...

माघ के मेघ में वह गर्जन ही कहाँ !!
बैसाखी का आड़ लिए अलग बैठा रहा ।
सूरज का गला तो सूखना ही था , रे
पानी पानी माँगता रहा ...
बसंत तो तेरे सूरतिया पर, सांवरी ...
पर
यह ख़बर ,
तुझे भी कहाँ ख़बर, बावरी ...

- निवेदिता दिनकर

तस्वीर : मेरे कार्य स्थल से ... कॉपीराइट पूरी मेरी

मंगलवार, 2 फ़रवरी 2021

इलज़ाम




 इलज़ाम है

कि
गिलहरी और कबूतर एक साथ
बाजरे को चुगने को लेकर झगड़ते पाये गए ...
इस प्रकार से
''बाजरे'' के ऊपर
देश द्रोह का मामला
किसी भी क्षण लग सकता है ...

- निवेदिता दिनकर
30/01/2020

तस्वीर : टेरेस गार्डन से फुदकते कबूतर और गिलहरी , लोकेशन : आगरा