गुरुवार, 14 फ़रवरी 2019

मुझे अपने में घोल ले ...



हल्के मीठे मौसम की झपकी ,
धूप की ठिठोली कच्ची पक्की.
मुई सौंधी बाताश के अधखुले अधर ,
मुलायम फुरफुरी आसमां का अगर मगर ,
झंकृत पानी के पाजेब ,
सकुचाते शरमाते धरणी कटिजेब ...
के सम्मिश्रण
के आँच
में
पकता है
वसंत ...
आह वसंत ...
री वसंत ...
मुझे अपने में घोल ले ,
ऐ वसंत ...
सुन ले, वसंत ...

- निवेदिता दिनकर
  14/02/2019

तस्वीर : मुग़ल गार्डन , राष्ट्रपति भवन , नयी दिल्ली

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