एक अजीब सा रूहानी रूमानी एहसास।
दबी दबी ढकी ढकी।
सड़को पर चलते आहटों की आवाज़।
दूर जलती मद्धिम रौशनी।
बारिश की बूंदो से
उजली चमकती पत्तियाँ …
और
स्पर्श करते उष्ण हाथ।
- निवेदिता दिनकर
१४/०१/२०१५
तस्वीरों को आज शाम क़ैद करते वक़्त मन को स्पर्श करते कुछ यूँ ख्याल …
लोकेशन - मेरे घर के सामने
आपकी यह उत्कृष्ट प्रस्तुति कल शुक्रवार (16.01.2015) को "अजनबी देश" (चर्चा अंक-1860)" पर लिंक की गयी है, कृपया पधारें और अपने विचारों से अवगत करायें, चर्चा मंच पर आपका स्वागत है।
जवाब देंहटाएंबहुत शुक्रिया राजेंद्र जी ... उत्साह वर्धन के लिए|
हटाएंsundar
जवाब देंहटाएंमेरी सोच मेरी मंजिल
आभार आपका Sanghsheel 'Sagar' जी
हटाएंबहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंमकरसंक्रान्ति की शुभकामनायें
हटाएंदिली शुक्रिया Pratibha जी एवं शुभकामनाये आपके आने वाले हर दिन के लिए ... :)