मंगलवार, 13 जनवरी 2015

लपट



सोचा कुछ लिखे,
हर कोई तो लिख रहा है।  
धत,
कोई शब्द 
आने को तैयार ही नहीं। 
इतना धधक रहा … 
सब कोयला कर दे रहा है।  
जैसे ही छूने की कोशिश किया,  
उंगली जला दिया …  
शब्द शब्द अंगार 
तेज लपट 
धू धू कर जल रहा … 

अब क्या ख़ाक लिखूँ !!

- निवेदिता दिनकर 
   १३/०१/२०१५   

फोटो क्रेडिट्स उर्वशी दिनकर , लोकेशन घर की छत , ३१ दिसम्बर २०१४ की रात, आगरा  
नोट : गौर से देखिए, फोटो में 'लपट ने एक औरत का रूप लिया है।' 

1 टिप्पणी: