सोचा कुछ लिखे,
हर कोई तो लिख रहा है।
धत,
कोई शब्द
आने को तैयार ही नहीं।
इतना धधक रहा …
सब कोयला कर दे रहा है।
जैसे ही छूने की कोशिश किया,
उंगली जला दिया …
शब्द शब्द अंगार
तेज लपट
धू धू कर जल रहा …
अब क्या ख़ाक लिखूँ !!
- निवेदिता दिनकर
१३/०१/२०१५
फोटो क्रेडिट्स उर्वशी दिनकर , लोकेशन घर की छत , ३१ दिसम्बर २०१४ की रात, आगरा
नोट : गौर से देखिए, फोटो में 'लपट ने एक औरत का रूप लिया है।'
बहुत सुंदर
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