मंगलवार, 5 फ़रवरी 2013

नटखट यादें


जब पीछे लौटने को कहे यादें |
सताए खूब ....
मांगे फरियादे ....
चीखे चिल्लाये ,
मधुर वह वादें |
जब पीछे लौटने को कहे यादें | |

वह सोच ,वह समझ 
कितना मासूम ... 
कितना  नासमझ ....
वह भब्यता,
वह रौनक ,
जाने न जाने.... 
कितना मनमोहक |
जब पीछे लौटने को कहे यादें | |

काश ! मैं लौट पाती ,
खूब चिपटती....
और चहकती ....
उस पेड़ को कभी न छोडती ,
य़ू ही तैरती , 
य़ू ही फिरती ....  
घर से आँगन तक ....
आँगन से घर तक |
जब पीछे लौटने को कहे यादें | |

- निवेदिता दिनकर

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