जब पीछे लौटने को कहे यादें |
सताए खूब ....
मांगे फरियादे ....
चीखे चिल्लाये ,
मधुर वह वादें |
जब पीछे लौटने को कहे यादें | |
वह सोच ,वह समझ
कितना मासूम ...
कितना नासमझ ....
वह भब्यता,
वह रौनक ,
जाने न जाने....
कितना मनमोहक |
जब पीछे लौटने को कहे यादें | |
काश ! मैं लौट पाती ,
खूब चिपटती....
और चहकती ....
उस पेड़ को कभी न छोडती ,
य़ू ही तैरती ,
य़ू ही फिरती ....
घर से आँगन तक ....
आँगन से घर तक |
जब पीछे लौटने को कहे यादें | |
- निवेदिता दिनकर
बहुत खूब
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