एक बार फिर मोहब्बत के अंजाम पर रोना आया .....
दिल तो रोया पर दर्द को भी रोना आया ।।
कितना यकीं था अपनों पर
हर ऒर ख़ुशी और खुशबू की बौछार
तन मन में फुहारों का लेप
छौना सी चंचलता
लहराती हुई बांसुरी
चहुओर अलमस्त की बयार
कितना यकीं था अपनों पर ....
सहसा आस्था हुई चोटिल
अवसर से खाई मात
प्यार हुआ स्तब्ध
जंजीरों ने फिर एक बार
किया उसपर घात
इतनी निष्ठुरता
यत्र -तत्र नीरवता
कुम्हलाया यथार्थ
तोड़ा जब ऐतबार
हाहाकार हाहाकार
एक बार फिर मोहब्बत के अंजाम पर रोना आया .....
दिल तो रोया पर दर्द को भी रोना आया ।।
- निवेदिता दिनकर
खूब लिखा है , सुंदर , हिंदी के शब्द कमल के हैं
जवाब देंहटाएंविक्रम
धन्यवाद .....विक्रम ! काफी दिनों से आपका इंतज़ार था ......
हटाएंनज़रें मिलीं , मिल कर झुकीं , झुक कर उठीं
जवाब देंहटाएंनज़रों ने दिलों से कह दिया
कम्बख्त
कयूं मेरे दिल ने सुना और तेरा कयूं न सुना
नज़रें मिलीं , मिल कर झुकीं , झुक कर उठीं
जवाब देंहटाएंनज़रों ने दिल से कह दिया
मेरे सपनो की रानी
तो है तो जिंदगी वर्ना सब बेमानी
तो है तो जिंदगी वर्ना सब बेमानी ....good one
हटाएंनिवेदिता जी,
जवाब देंहटाएंयह रचना बहुत अच्छी लगी....
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तन मन में फुहारों का लेप
छौना सी चंचलता
लहराती हुई बांसुरी
चहुओर अलमस्त की बयार
----वाह क्या बात है---और फिर इस अंतरे के अंत में :
---कितना यकीं था अपनों पर ....
उफ्फ...कमाल.बधाई...!!!
राजू , आप जैसे गुणी लोग आयेंगे तो चहुओर अलमस्त की बयार तो आएगी ही ।
हटाएंख़ुशी मिली इतनी कि मन में न समाये ...मन में न समाये ....
लो जी मैं आ गया आपके ब्लॉग पर, अब कुछ चाय पानी का इन्तेजाम करो. हा हा हा.... बहुत सुन्दर कविता कोमल अहसासों के साथ. एक अनुरोध सत्यापन का कॉलम हटा दे, कम्मेंट में आसानी होगी.
जवाब देंहटाएंनीरज जी , आपके ब्लॉग पर आने से मेरा मन मयूर तो नाच उठा है ......इसमें कोई शक नहीं । जलपान एवं आमोद - प्रमोद की व्यवस्था पूर्ण होते ही आपको एवं और मित्रो को निमंत्रित किया जायेगा।। आभार .....
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