ऐसे उन स्त्रियों को भी विश्व पुरुष दिवस की बधाइयाँ एवं मुबारकबाद जो किसी भी पुरुष रूप पिता, भाई, पति, पुत्र, प्रियतम, के साथ अटल खड़ीं हैं ।
और उन खास स्त्रियों को इस उपलक्ष्य में जादू की झप्पी जो इस मिथ्या को हटाने में सक्षम रहीं और हैं कि पुरुष ही कमाऊ और उनके रहते या न रहते कि बेचारी घर कैसे संभालेगी तो ऐसी नाजुक अबलाऐं ताबड़तोड़, बेधड़क घनघोर घर, बाहर संभाल रहीं हैं ।
ऐसे उन पुरूषों को भी विश्व पुरुष दिवस की अशेष शुभकामनायें जिनको ऐसे पोस्ट लुभाते नहीं और वे अपनी पूरी शिद्दत से स्त्रियों की इज्जत करतें हैं जो उनकी माँ, बहन, बेटी, बीवी, प्रियतमा भी नहीं हैं ।
खास तौर पर उन पुरूषों को विशेष प्रणाम जो धर्म, जाति के ऊपर जाकर मनुष्यता अर्थ का ख्याल रखतें हैं ।
बाकी दोस्तों , उनकों तहे दिल से आभार जो न पढ़ें लिखें है और न ही हम जैसे प्रीवीलेज्ड एवं इस वक्त मेरे साथ गाड़ी में चल रहें हैं जो दो सरल सहज पुरुष हैं। सुनसान यमुना एक्सप्रेस वे पर, बाहर घुप्प अंधेरा है , जिनका मजहब भी अलग, जिनसे सिर्फ इंसानियत का रिश्ता है, के साथ बेखौफ़ सफर कर रही हूँ ।
आगरा टाॅल प्लाजा आ गया है ...
ह्रदय से धन्यवाद ।
- निवेदिता दिनकर
19/11/2020