सोमवार, 18 फ़रवरी 2019

तलब




कुछ लोगों से बात करने का मन करता है ...
कुछ लोगों से मिलने की इच्छा होती है ...
और
कुछ लोगों से प्यार हो जाता है।

मैं
अपनी इन दुष्ट चाहतों का पीछा कभी नहीं छोड़ती ...

'' सुबह '' की तलब जरूरी है , न ...

- निवेदिता दिनकर
 18/02/2019
तस्वीर : मेरी प्यारी बेटी ''बनी "

3 टिप्‍पणियां:

  1. सच ही कहा आपने... ये दुष्ट चाहतें!
    शायद, जीने का मायने हो यही।

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  2. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (20-02-2019) को "पाकिस्तान की ठुकाई करो" (चर्चा अंक-3253) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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