छोटी बहन का होना जरूरी ही नहीं अपितु खुदा की नेमत है। हमेशा ही मैंने उस पर राज किया और उसने मेरे दिल पर।
बचपन में कोई भी काम करने को होता था तो मैं दीदीगिरी दिखा कर काम करवा लेती। इसके बदले कभी टॉफी, कभी चॉकलेट, कभी एक रुपया का सिक्का ही काफी होता। उसको चाय बहुत पसंद है इसलिए उसने बनाना भी सातवीं क्लास के आसपास सीख लिया होगा। जब भी माँ कहीं बाहर जाती थी, बस पहला काम तुरत फुरत चाय बनाती और फिर पैन को वापिस धोकर यथास्थान रख देती जिससे माँ को पता न चल जाये। मगर इसके वावजूद माँ पता कर लेती , पता नहीं कहाँ सुराग छोड़ आती थी !!
स्टेट लेवल एथलीट रह चुकी है, इसलिए घर, नौकरी, अपना फैशन इंस्टिट्यूट में भी पूरा एथलीटी तारतम्य है। कत्थक निपुणा पाक शास्त्री भी है। इसलिए लजीज पकवान का मज़ा भी पूरा देती है।
अब ऐसी गुणों की खान बहन का होना कितना सुखदायी होता है, जैसे कि तेज़ धूप में फुहारें, जैसे कि शाम उतरते एक प्यारी सी ग़ज़ल, जैसे कि तन्हाई रात में परियों की कहानी, है न …
- निवेदिता दिनकर
२५/०६/२०१५