Sunehra Ehsaas
सुनहरा एहसास .....पल पल की ....धडकनों से गुजरती हुई स्याही तक का सफ़र ....
बुधवार, 13 मई 2015
बेटे
बेटियों का बेटा बनना शान की बात है।
बाइसे मसर्रत तब हुआ,
जब बेटों में भी बेटियाँ सी बेताबी दिखी ॥
- निवेदिता दिनकर
१३/०५/२०१५
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
‹
›
मुख्यपृष्ठ
वेब वर्शन देखें
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें