शुक्रवार, 13 फ़रवरी 2015

इत्र


आज मन हुआ,
 तुम्हारी शर्ट पहनू… 

यह क्या !
हो गई 
 इत्र 
के गिरफ्त ॥ 

और
फिर 
मुझे बोतल में बंद कर चलता बना   … 

- निवेदिता दिनकर 
  13/02/2015 

तस्वीर - मेरी आँखों से 'इत्र '

2 टिप्‍पणियां:

  1. सार्थक प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (14-02-2015) को "आ गया ऋतुराज" (चर्चा अंक-1889) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    पाश्चात्य प्रेमदिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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