शनिवार, 28 फ़रवरी 2015

तब्दील

क्या क्या कहूँ, 
कैसे कैसे कहूँ ,
कि 
इतनी मिटटी 
तो डाल ही चुके हो 
अब तलक … 

मेरे चीखों और छटपटाहट की 
कब्र पर  … 

कि 
सब अस्थि पिंजर में कबका तब्दील हो चुके होंगे !!

- निवेदिता  दिनकर 
  २८/०२/२०१५ 

फोटो क्रेडिट्स - उर्वशी दिनकर,  लोकेशन आगरा 

शुक्रवार, 20 फ़रवरी 2015

हे प्राणप्रिय


केवल व्यंग्य के तौर पर … Nothing personal about it!! wink emoticon smile emoticon

हे प्राणप्रिय, 
यह जो मेरा और तुम्हारा रसायन शास्त्र ( केमिस्ट्री) है ,
वह भौतिक ( फिजिक्स) से कहीं ज्यादा है परन्तु गणित ( मैथमेटिक्स ) से थोड़ा कम । 
मगर इतिहास (हिस्ट्री) गवाह है कि भूगोल ( जियोग्राफी) के आधार पर समाज शास्त्र (सोशियोलॉजी ) की गुणवत्ता को मद्देनज़र रखते हुए अर्थ शास्त्र ( इकोनॉमिक्स ) को नज़र अंदाज़ नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि यहीं राजनीति ( पोलिटिकल साइंस ) है और आज का पर्यावरण ( Environmental Studies ) भी॥ 

तुम्हारी
...  ... .....

-  निवेदिता दिनकर 
तस्वीर: झील के किनारे , लोकेशन नौकुचियाताल   

बुधवार, 18 फ़रवरी 2015

तुम सम्हाल लोगे



सागर,
तेज ज्वार,
ऊँची सिलवटदार लहरें, 
खींच ले चली …
…मगर तुम्हारे आगोश की तृप्त सुलगन।

रेलवे स्टेशन,
जबरदस्त जन सैलाब,
भेदती आँखे …
डसते चेहरें,
… तुम्हारे आँखों का अटूट आलिंगन।

अस्तित्व की आपाधापी,
शरीर यात्रा
आत्म बलि ,
चहुंओर कश्मकश …
…पर तुम्हारे ह्रदय का अविराम स्पंदन।

री झरने की सी झर झर …
इतराती
बलखाती
डोलती
मदमस्त
बेरपरवाह
… और तुम्हारे एहसासो का रौशन पुनर्जन्म।

जानती थी …
तुम सम्हाल लोगे॥

- निवेदिता दिनकर 
  
आज की तस्वीर मेरी आँखों से …"हम तुम "

शुक्रवार, 13 फ़रवरी 2015

इत्र


आज मन हुआ,
 तुम्हारी शर्ट पहनू… 

यह क्या !
हो गई 
 इत्र 
के गिरफ्त ॥ 

और
फिर 
मुझे बोतल में बंद कर चलता बना   … 

- निवेदिता दिनकर 
  13/02/2015 

तस्वीर - मेरी आँखों से 'इत्र '