निश्छलता, उल्लास, उमंग, 
बेफिक्री, बेपरवाह, हुड़दंग … 
यही तो है 'हम' 
और 
हमारे अल्हड़ रंग ढंग। 
परिंदे, तितली, हवा,  
बादल, बिजली, घटा … 
यही तो है 'हम' 
और
हमारे पलते ख्वाब संग।  
फूल, पत्तियां, तरु, 
पलाश, गुड़हल, टेसू ... 
यही तो है 'हम' 
और
हमारे न्यारे मस्त मलंग।  
कागज़, कलम, कल्पना, 
उत्साह, उड़ान, बचपना  …    
यही तो है 'हम' 
और
हमारे जोशीले ढोल मृदंग।  
समय को 'बस एक बार' पीछे लौटाने का मन जो हुआ है, काश !! 
- निवेदिता दिनकर
२४/०७/२०१४   
नोट : यह नटखट बच्चे काजल, रूपा, आरती, राजु, अंजली  जिनके माता पिता या तो कहीं दरवान है या मज़दूर या ड्राइवर है एवं हर शाम हमारी सासु माँ से निःशुल्क पढ़ने आते है, तो सोचा इनकी तस्वीर लूँ , फिर सोचा, कुछ नादानों के लिए लिख भी डालूँ …           


