चाय की चुस्कियों में
और
महफ़िलों की चुप्पियों में ठहरे रह जाते हैं।
और
महफ़िलों की चुप्पियों में ठहरे रह जाते हैं।
वे घास पर पड़े बारिश के
वह
बूढ़े बूँद है
जो धूप निकलने पर भी ठहरे मिलते है।
वह
बूढ़े बूँद है
जो धूप निकलने पर भी ठहरे मिलते है।
तकिये पर पड़े तेल के निकम्मे निशान कभी भी जा पाएं?
और
कंप्यूटर टेबल
पर
बेतरतीब आड़े तिरछे लहराते डिटेल्स
शिराओं में सिरिंज का काम करते हैं।
और
कंप्यूटर टेबल
पर
बेतरतीब आड़े तिरछे लहराते डिटेल्स
शिराओं में सिरिंज का काम करते हैं।
कुछ लोग कुहूकते रहें...
कुछ लोग कभी न जाए... -
कुछ लोग कभी न जाए... -
- निवेदिता दिनकर
फोटो क्रेडिट्स : दिनकर सक्सेना , लोकेशन: लेह