शनिवार, 17 जून 2017

कवितायें








एक से बढ़कर एक 
कवितायें 
नायाब, बेमिसाल, असाधारण  ...   

प्रेम से भरी हुई 
ज़िन्दगी से लबरेज़ 
शहद में डूबी 
शहनाई को मात करती नवेली धुन जिसकी   
चिड़ियों की मासूम कलरव करती 
ग़ज़ल नुमा 
निष्कलंक
संपन्न

किसको पढ़े 
किसकी आरती उतारें 
प्रशांत महासागर से भी गहरें 
रुई मलमल से थोड़ी ज्यादा मुलायम 
आह जैसी चाह  ...  

वातानुकूलित कमरों से निकली 
कवितायें 
शायद ऐसी ही होती है !!

- निवेदिता  दिनकर
  १७/०६/२०१७ 


तस्वीर : तपती धूप तकती पेट 

शनिवार, 10 जून 2017

मेरी नायिका - 8




एक मेहनतकश खुद्दार माँ की सफलता यूँ हासिल हुई जब उसकी मेहनती बुद्धिमान मेधावी बेटी यू पी बोर्ड 2017 की बारहवीं में फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथमेटिक्स लेकर ७५ % अंक से उत्तीर्ण हुई |
ख़ास बात यह कि इस बेटी की माँ कोई स्कूल कॉलेज कभी नहीं जा सकी और मेरे घर के काम काज में पिछले कई सालों से हाथ बटांती है | पिता इ रिक्शा चलाते है | यू पी बोर्ड की दसवीं में ८५ % पहले ही ला चुकी है |
इस हुनर और जूनून को हमारा सलाम मिलना ही चाहिए |
मेरी और दिनकर की अपेक्षा है कि मैं इस रानी बेटी " रेणु कौर " को आगे चलकर सिविल सर्विसेज में जरूर बिठाऊँ | आगे जो रब राखा ...

 - निवेदिता दिनकर 
   १०/०६/२०१७