२०११ में लिखी थी, आप भी महक लें ...
खूब थी वह खूबसूरत याद ..........
बेमिसाल बेहिसाब बेकाबू
जाने अनजाने बस गयी
भीनी मंद मंद मीठी मीठी
सराबोर कर के आज ...........
जैसे
धुएँ के छल्लों में
पहली कश ...
खूब थी वह खूबसूरत याद ..........
---" कुछ पल जो संजोये है...."
- निवेदिता दिनकर
०९/०४/२०१६
तस्वीर: उर्वशी के हाथों का जादू ...