बुधवार, 19 अगस्त 2015
शुक्रवार, 14 अगस्त 2015
स्वतंत्रता दिवस की पूर्व सुबह
आज की खूबसूरत और नज़ाकत भरी सुबह, स्वतंत्रता दिवस की पूर्व सुबह, मासूमियत में लिपटी रही।
हुआ यूँ कि एक संस्था ISHRAE की मेंबर होने की वजह से K 12 की चेयर हूँ जिसके अंतर्गत एक प्लेग्रुप में जाने का सुखद मौका मिला। सच में, एक अरसा बीत गया था ।
आह हा …
फूलो से भी नाज़ुक प्यारी प्यारी कलियाँ,
मीठी मीठी तोतली तोतली तुम्हारी यह बोलियाँ,
अरे जिगर के टुकड़ों,
कहीं तुम्हें मेरी नज़र न लग जाये,
हसरतें है चाँद पर साथ चलते जाये…
- निवेदिता दिनकर
14 /08 /2015
बुधवार, 12 अगस्त 2015
तिरंगा
तिरंगे को देख
जज़्बाती होना,
गर्व से माथे का उठना
एकदम स्वाभाविक …
कितने गौरवशाली गाथाएँ,
कितने कलेजे के टुकड़ों की कुर्बानियाँ,
कितने धधकते अंगार,
कितने चरम पंथी …
और
कितने ही नरम पंथी …
आसमान से ऊँची,
समुन्दर से गहरी,
मेरा अभिमान,
मेरा स्वाभिमान,
वन्दे मातरम …
वन्दे मातरम …
- निवेदिता दिनकर
12 /08 /2015
फ़ोटो क्रेडिट्स : दिनकर सक्सेना , 'तिरंगा', लोकेशन : मदर्स वैक्स म्यूजियम , कोलकाता
शुक्रवार, 7 अगस्त 2015
क्या बरसी हो!!
क्या बरसी हो, आज !!
जाने,
क्या क्या बरसा दिया, आज !!
अरे,
कोई ऐसे भी बरसता है, क्या ?
थम थम के बरसी …
बरस बरस के थमी …
कभी ठिठकी
कभी भटकी
कभी छिटकी
कभी सिमटी
ऐसा लगता है मानों,
मानों
यौवन फूट पड़ा हो
और
अपनी मादकता से सबको मदहोश करने का इरादा हो ॥
ज़रा हौले से,
यह महज़
बूँद नहीं है …
प्यास है हमारी …
रूह है हमारी …
…
- निवेदिता दिनकर
07/08/15
फ़ोटो : हमारी नज़र से, आज दुपहरिया में बरसी यह नासमझ " बूँदे "
मंगलवार, 4 अगस्त 2015
माय बेस्ट फ्रेंड
हाँ, बेस्टेस्ट फ्रेंड तो आप ही हो और रहोगे …
यूँ तो आप पैंट शर्ट में भी हैंडसम लगते हो मगर सबसे ज्यादा आपके ऊपर सफ़ेद एम्ब्रॉयडर्ड कुर्ता पायजामा ही जंचता है।
देखो न, अब जब कल मैंने आपको वहीं कलफ़दार कुर्ते पायजामे में चाय पीते हुए देखा, सहसा विश्वास नहीं हुआ। पूछ ही डाला, आप तो 2011 में चले गए थे , न … तो , इतने दिन कहाँ थे ? आप मुस्कराये , फिर बोलते है … "मैं तो हमेशा ही तुम्हारे आसपास हूँ ।"
पता नहीं, पर 'बापी', आजकल आप रोज़ मेरे सपनें में आ रहे है, और कल जो हमारी बातचीत हुई , वह दिमाग से जा ही नहीं रही है। ऐसा प्रतीत हुआ जैसे एकदम सचमुच …
शायद आपके आखिरी वक़्त में आपके पास नहीं होने की वजह से, मैं आपके स्नेह के लिए बेचैन हो उठती हूँ। कितनी बातें बांटने को है …
भीड़ में ढूढ़ती हूँ आज भी …
और किसी कच्चे पक्के बाल वाले कुर्ते पायजामे वाले को मुढ़ मुढ़ कर देखना नहीं भूलती, कि क्या पता … !!
तुम्हारी लविंग डॉटर
- निवेदिता दिनकर
04/08/2015
नोट : दोनों तस्वीरों के बीच लगभग २५ साल का फासला है … " पिता पुत्री "