कितनी खूबसूरत बात है,
कितनी मनमोहक रात है,
मन करता है …
रोक लू इसे,
न जाने दू कभी ,
यु ही तुम्हारे
साथ…
स्पर्श की आंखमिचौली,
खुशबूओं की होली …
सिहरन का आलिंगन,
कौंधती बिजली सा बदन …
दर सिलसिला
बना रहे
और
हम
कभी बाहर
न निकल पाये ॥
काश, तुम समझ पाते!!
- निवेदिता दिनकर
"मेरा अभिमान" यानि मेरी पुत्री रत्ना "उर्वशी" को ढेर सारा प्यार और स्नेह, १५ वीं वर्षगांठ पर …
जब से तुम्हें पाया,
मायने ही बदल गए …
जिंदगी की प्यास
झिलमिल सी आस,
झर झर बातें,
कितना हर्षाते …
चमचमाती सोच,
एक निर्मल स्रोत …
आकाश का सितारा,
मेरी आधारशिला …
मेरा गुमान,
मेरा अभिमान …
ऐसे जैसे,
जगत के सारे आनंद …
हमेशा हमेशा के लिए ,
मेरी बाबड़ी में आ गए …
जब से तुम्हें पाया,
मायने ही बदल गए …
मायने ही बदल गए …
- निवेदिता दिनकर