कितना चाहू, जानू ना …
क्या चाहू, जानू ना …
जानू ना अँधेरा,
जानू ना सवेरा …
रस्म जानू ना,
बंधन जानू ना …
फ़ासला जानू ना,
उम्मीद जानू ना …
ठोकर जानू ना,
इशारा जानू ना,
जानू ना शक्ति ,
जानू ना मुक्ति …
जानू तो केवल इतना जानू ,
बितायी हुई घड़ियाँ,
बितायी हुई कड़िया …
बिताये हुए पल,
बिताये हुए कल …
बिताये हुए राज़,
बिताये हुए साज़ …
वह बीती हुई कहानी ,
वह आखरी निशानी …
वह बीती हुई कहानी ,
वह आखरी निशानी …
- निवेदिता दिनकर