शनिवार, 16 मार्च 2013

समय- एक पहेली





होली आ गई मित्रों .......होली है !!!

क्यों न बासन्ती रस हो जाये…..यानी इस रचना में कुछ फ़िल्मी नामो का जमावड़ा है ....खूब तलाशिये और आनंद लीजिये …… 


एक पहेली ही तो हो 
कभी दोस्त बनकर, 
कभी अरमान दिखाकर, 
चुपके चुपके 
दर सिलसिला  
कभी अग्निपथ 
तो कभी गहरी चाल । 
गोलमाल संग  
निशब्द अक्स  संभाल ॥  

आज कर के ऐतबार 
मानकर नसीब
करू पुकार 
तुम्ही से परवरिश 
तुम बिन लावारिस 
एक रिश्ता बेमिसाल 
बेपनाह मोहब्बतें 
कभी कभी चीनी कम, 
तो कभी ख़ुशी कभी गम । 

कैसा  लगा  यह कोहराम 
न लेना कोई इसे अभिमान । 
यह तो है मात्र  एक रिश्ता 
जिसे मैंने भुनाया होली वास्ता ।।  

- निवेदिता दिनकर 
 

शनिवार, 9 मार्च 2013

फ़ना





Inspired by Oscar Wilde Ouotes " Death must be so beautiful ...."


अब न कोई डर, न कोई पीड़ा 
न हताशा 
न ध्वस्त्ता 
न नादानी 
न कोई नीचता । 
न मिलन 
न समागम 
अब न कोई माशूका 
न कोई हमदम। 
न  व्याध 
न छल 
व्याप्त केवल दिव्य करतल । 
माटी का मानस 
सुवास का संगीत 
अथाह शांति 
और फ़ना अर्जित ॥   
और फ़ना अर्जित ॥   



 निवेदिता दिनकर 

मंगलवार, 5 मार्च 2013

जुनूनी जुनून


जब जब बाते उठी ,
बड़ी बड़ी बाते ही हुई।  
जो गुमनामी से होकर 
छुपती छुपाती खो जाती कहीं। 
रह जाती केवल वह सिसकियाँ ,
जो हिला दे रूह को,
कंपा दे मन को,
बनकर कभी न जाने वाली परछाईयाँ ।।  

कठिनाइयाँ  बहुत, मुश्किलें जबरदस्त 
इस निर्दयता से पार पाना 
मगर जज़्बा बेशुमार, इरादे अडिग 
इस सैलाब में बह जाना। 
कि बस ! अब हो चुका बहुत कुछ ,
न रुकेगा यह जुनून,
न थमेगी यह साँसे,
बस बहेगी यह प्रवाह ताउम्र ताउम्र ।। 

- निवेदिता दिनकर